`आधुनिक तलाक ‘ताज़ी-कविता
आधुनिक तलाक ?
क्या है यह तलाक ?
पति पत्नी का जिस्म से अलग होना
कागज़ के टुकड़े पर हस्ताक्षर करना
रिश्ते का अधिकार खो देना या
घर से बेदखल हो जाना
मान लो यह सब हो भी जाए
तो क्या आपके दिल को
सुकून मिल जाएगा ?
शायद नहीं ,शायद हाँ
शायद नहीं की गुंजाइश
अधिक होती है ,तभी तो
तलाक में प्रतिशोध की दुर्भावना की
भयावहता समाहित हो गई
दोनों ही पक्ष एक दूसरे को
तबाह करने की साज़िश रचते हैं
यह तबाही आर्थिक मुआवजा के रूप में
या मर्डर -खून खराबा के रूप
प्राय : ही धारण कर लेती है !
यहां तक कि तलाक के वर्षों बाद भी
आर्थिक शोषण, शारीरिक – मानसिक तबाही का
सिलसिला कभी थमता नहीं
क्यों होता है यह सब
जिसके साथ प्रणय सम्बन्ध बनाए
वे मृदु सम्बन्ध इतने कटु- कठोर ,
और दहशत पूर्ण कैसे हो जाते हैं ?
माना !सम्बन्ध जब संत्रास देने लगें
तब अलग होना वाजिब है
लेकिन इसके लिए
इंसानियत को त्यागना
एक दूसरे के जीवन में
विष घोलना ,
इतनी दहशत- दंश भरना
`जिवो और जीने दो’ का
सरल -सा मन्त्र
`न’ लगने पर ,
इतना कठिन -कठोर
कैसे और क्यों बन जाता है ?
डॉ रमा द्विवेदी
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