कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?
कैसे रचे इतिहास जब आकाश बन्दी है यहां?अंकुर अभी पनपा ही था कि नष्ट तुमने कर दिया,
कैसे लेंगे जन्म जब गर्भांश बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?सपने भी जब देखे हमने उनपे भी पहरे लगे,
कैसे पूरे होंगे जब हर ख्वाब बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?सदियों से रितु बदली नहीं,अपनी तो इक बरसात है,
कैसे करें त्योहार जब मधुमास बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?त्याग की कीमत न समझी त्याग जो हमने किए,
छीन लीन्हीं धडकनें पर,लाश बन्दी है यहां।
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?कुछ कहने को जब खोले लब,खामोश उनको कर दिया,
कैसे करें अभिव्यक्त जब हर भाव बन्दी है यहां?
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?खून की वेदी रचा कर तन को भी दफ़ना दिया,
कैसे जिएं? कैसे मरें? अहसास बन्दी है यहां।
कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?डा. रमा द्विवेदी
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Posted by: डॉ. रमा द्विवेदी | सितम्बर 4, 2006
हर सांस बन्दी है यहां
गीत में प्रकाशित किया गया
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“कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहां?
कैसे रचे इतिहास जब आकाश बन्दी है यहां?”
वाह रमा जी, बहुत बढिया. सुंदर अनुभूति. बधाई.
By: समीर लाल on सितम्बर 5, 2006
at 1:36 पूर्वाह्न
मन को छूने वाले एहसास है।
By: ratna on सितम्बर 5, 2006
at 9:54 पूर्वाह्न
अति सुंदर ।
यथार्थता की अनुभूति ।
By: Prabhakar Pandey on अक्टूबर 3, 2006
at 8:55 पूर्वाह्न
raat ke 2 bje sochaa aaj aapka pura blog padungi sabhi rachanao ko padungi. per jab padna shuru kiya to 3:30 kab bje ehsaas hi nhi hua. sabhi per comment dene ka man kiya kcuh per diya or kuch per ye soch ker nhi diya ke comment ke karna koi padne se rah jaye. sabhi rachane bhut achi lagi. kuch ne to comment kerne per vivash saa ker diya. or kuch ko padker me moun si rah gyi.
By: hemjyotsana parashar on अगस्त 8, 2007
at 8:48 अपराह्न
बहुत बहुत शुक्रिया ज्योत्सना जी ,कि आपने इतने उत्साह से नींद की परवाह किए बिना रचनाएं पढ़ी….और अपने भावों को प्रगट किया….यह दिल को बहुत भा गया….आगे भी यह उत्साह बनाए रखेंगी… इसी आशा के साथ…
By: डा. रमा द्विवेदी on अगस्त 9, 2007
at 5:43 पूर्वाह्न