1 - हर पल जीवन मर रहा , कोरोना की मार | हे शिव आकर कीजिए ,इसका अब संहार || 2 - जगह नहीं श्मशान में,शव के हैं अंबार| क्रिया कर्म की आग में,दहक रहा परिवार | | 3- शव की दुर्गति हो रही, घरवाले बेजार । हवा प्रदूषित हो रही,सारा जग बीमार || 4- अनगिन शव को देख कर,मन होता भयभीत। मददगार सब लापता, दिखे न कोई मीत।। 5- आग -आग बस आग ही,दिखती है श्मशान | अभय दान शिव दीजिए,विलख रहा इंसान || ** डॉ. रमा द्विवेदी ** @All Rights Reserved
Posted by: डॉ. रमा द्विवेदी | मई 4, 2021
कोरोना त्रासदी -दोहे
दोहे में प्रकाशित किया गया
प्रतिक्रियाएँ
टिप्पणी करे
श्रेणी
- (ताँका)
- कुंडलियां छंद / घनाक्षरी छंद
- क्षणिकाएं
- गीत
- चिंतन : एक दृष्टि
- चित्र-वीथि
- दोहे
- प्रेस-विज्ञप्ति
- माया-श्रृंखला
- मुक्तक
- मेरी कुछ कहानियां
- रिपोर्ट
- लघु कथा
- विशेष सूचना
- शुभकामनाएं
- शोधपत्र
- श्रद्धांजलि
- संवेदना की अनुभूतिय
- समीक्षा
- सम्मान व पुरस्कार
- सूचना
- सृजन के प्रिय क्षण
- सेदोका -जापानी विधा की कविता
- हाइकु
- हाइगा
- हास्य -व्यंग्य
वाह, बहुत सही👌👌👌
By: Katyayani DR. Purnima Sharma Astrologer on मई 4, 2021
at 10:55 पूर्वाह्न