कुछ अपने बारे में………

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कुछ अपने बारे
में………

मैं डा. रमा द्विवेदी हूं। बीस वर्षों केहिन्दी अध्यापन के उपरान्त मैंने  स्वैच्छिक अवकाश ले लिया है।स्वतंत्र लेखन में कविता,कहानी,निबन्ध शोध-पत्र आदि में विशेष रुचि है एवं साहित्यिक पत्रिका “पुष्पक” कादम्बिनी क्लब, हैदराबाद की संपादिका हूं। गीत – संगीत मुझे बहुत प्रिय हैं। नारियों की दयनीय सिथति के प्रति विशेष संवेदनशील हूं। अपनी कविताओं के माध्यम से उनमें जागरुकता लाना चाहती हूं ऒर समाज के लोगों का ध्यान उनकी समस्याओं की ऒर खीचना चाहती हूं। ताकि उनको भी स्वतंत्र पहचान एवं उडान भरने के लिए खुला आसमान मिल सके। बस यही मेरे जीवन का लक्ष्य है । मेरी अधिकतर कविताओं मेंयही भावना परिलक्षित होती है। वैसे मैं वर्षों से लिखती रही हूं| मेरा प्रथम काव्य संग्रह ‘दे दो आकाश’2005 २ में प्रकाशित हुआ दूसरा काव्य संग्रह ‘रेत का समंदर’2010 एवं तीसरा संग्रह`साँसों की सरगम’ हाइकु संग्रह -2013 में प्रकाशित हुआ । देश-देशान्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं अन्तर्जालों में रचनाएँ प्रकाशित । बस इतना ही बाकी आप कविताओं को पढ.कर स्वयं समझ सकेगे………..
Rama Dwivedi’s Profile-“Dr Rama Dwivedi poet and writer, has a Ph. D. in Hindi, and has taught as Hindi lecturer at GSM College for Women, Secunderabad.` De Do Aakaash’, `Ret ka Samndar’ and Sanson Ki Sargam’are an anthology of her Hindi poems. She has also published her work in International and National magazines like E-vishva,Lekhni (U.K.)sahitya kunj,Hindi Haiku,Kavita Kosh, Anubhuti,E-kavita,Anubhooti-Abhivyakti ,Hind Yugm,Hindi poetry, Nai subah,Kadambini and Bhasha of New Delhi,Rashtriy Aagam Sochi(Riva,M.P.) Divan Mera(Nagpur) Dakshin Samachar and Hindi Milap,Swatantra Varta , Sankalya , Shravanti, Vivaran Patrika, Poorn Kumbh, Pushpak of Hyderabad, Kranti Swar, Dainik Jagran, Chetansi(Patna) Himalini, of Kathmandu ,Udanti,`Aviram,Aagman’Parikalpna Samay’,Yugeen’,`Salil’,`Vivran Patrika’,`Abhinav Imroj’,`Bhav kalash’, `Yadon Ke Pakhi’,`Shabdon Ke Aranya Me’, `Saraswati Suman’, Bhasha Piyush etc. She was editor of Kavita 2004 of AIPC and Pushpak ,kadambini Club , Hyderabad since-2005. She is recipient of Subhadra Kumari Chauhan Award at All India Poetess Conference, 2004 ,’Vidya Martandh Award’-2006 (Hyderabad) ‘ Shreematee Suman Chaturvedi ShreShTh Saadhnaa Sammaan-2007 ‘(Bhopal) Sahitya Garima Puraskar-2009(Hyderabad)and Parikalpna kavya samman-2012
She is a member of Authors Guild of India and Kadambini Club, Hyderabad.
She is selected as a one of 111 women hindi writers of 21st century ,special Issue of(22 August-4 Sep.2011) `The Sunday Indian’ weekly hindi magazine .

She can be contacted at ramadwivedi53@gmail.com
www.kavitakosh.org/ramadwivedi

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प्रतिक्रियाएँ

  1. बहुत खूशी हुई आपके बारे मे पढ कर और आपकी हिन्दी भी बहुत अच्छी है – और आप जैसी हिन्दी की मायानाज़ हसती हमारे बीच हो ये मेरे लिए बहुत बडी खुशी की बात है।

    शुऐब

  2. Numesty Ramajee,

    Kaisi hain aap… aapka photo bahut aacha laga behud sunder …aapki kavitao ki tareh…

    sunita

  3. पहले मैं आप जैसी विदुषी को प्रणाम करता हूँ और आशा करता हूँ की आपकी रचनाएँ सदैव पढ़ने को मिलेंगी ।

    हार्दिक वंदन एवं अभिनंदन ।

  4. Namaskar,
    Poetry_Hindi@yahoogroups.com par beji hui aap ki kavitanye bahut hee sundar aur bhavanatmak hoti hain.

    Mai ek naya kavi hun aur 3 salonse kuchh kavitanye likhaneki koshish kar rahaa hun. Aapse sikhaneka mauka mil rahaa hai.

    Shubh kamanaye
    Deepak Waikar
    dlwaikar@yahoo.com

  5. adaab
    achchi kavitaoN ka sur sangam aap ne apne block banaya hai
    meri oor se hardik shubha kaamnaaeN
    guldehelve

  6. कभी हिंदी कविता पर केन्द्रित मेरे ब्लॉग :
    http://anahadnaad.wordpress.com पर भी तशरीफ़ लाएं .

  7. रमा जी,
    नमस्कार
    रचना सराहनीय है। एक सुझाव है। कृपया अन्यथा न लें। आपके परिचय मे कुछ संशोधन की आवश्यकता है।

  8. रमा जी
    जब कोई ‘गागर में सागर’ का उदाहरण देता है तो अतिशयोक्ति का आभास होने लगता
    है। किंतु ‘अनुभूति कलश’ इस कहावत पर पूर्णतः चरितार्थ होती हे।
    ‘अनुभूति कलश’ में काव्य-कौशल, अनुपम शब्द-योजना, रचना-चातुर्य से भरा
    हुआ हृदयों को आल्हादित करने वाला रस-सागर है। नींव का आधार-ज़मीं, चाँद की
    सैर का ख्वाब, सुंदर मुक्तक, पत्थर से ग़म कहते हैं, बलिदान चाहिए, उम्मीद का दिया,
    जीवन मूल्यों में विप्लव, परिभाषाएं ही नहीं, सारी ही रचनाएं उत्कृष्ट है।
    अभी अन्य रचनाएं पढ़नी शेष हैं, किंतु जानता हूं कि वे एक से एक बढ़ चढ़ कर होंगी।
    आपके इस बलॉग को पढ़ने मात्र से ही पाठक-गण बहुत कुछ सीख सकते हैं।

  9. परमादर्णीय शर्मा जी,
    सादर नमस्कार!

    आपका आशीष प्राप्त हुआ यह मेरे लिए गौरव की बात है।मेरा यह लघु प्रयास अगर किसी को भी पसन्द आ जायेगा तो बस वही मेरी रचना धर्मिता की सार्थकता होगी। वैसे मैं स्वांत: सुखाय ही लिखती हूं लेकिन अगर वे परहिताय बन जाती हैं तो उसका श्रेय उदारमना सुधी पाठकों को ही जाता है।मुझे इस बात की बहुत खुशी हैकि आपने मेरी कविताओं की प्रशंसा में मुक्तहस्त से शब्द मोती लुटाए हैं जिन्हें समेटनें- सहेजने के लिए शायद मेरी झोली बहुत छोटी है। आपका आभार प्रगट करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं, भावों का भार उठाने में शब्द मौन हैं।बस मैं नतमस्तक हूं…. पुन: नमन….शेष फिर कभी…..
    आपकी स्नेहाभिलाषी,

    रमा द्विवेदी

  10. Ramaji,

    Aap ne to kamal hi kar diya…..dhero saare prashansak aap ke kavitao ke…..aasha karata hoo ke aap aisa hi likhati rahegi……..;

    Dukhsukh bhool jaiye aur likhane me lagjaiye……meri subhkamnaye aapke saath hai…….

  11. काश! कि आप नारियों सुदशा पर भी कविताएँ, खुशी के गीत लिखतीं।

  12. रमा जी,
    आप की बारे में जानकर खुशी हुआ। मैं एक मामूली किसान जो ज़मीन को बचाने की प्रयास कर रहा हूँ। जो ज़मीन ज़हरों से मरने की तैय्यारी कर रहे हैं और उसी वजह से जो बीमारियों के बढते हालात में super speciality hospitals & medicines हमें लूटते हैं। आपकी हरियाली ज़मीन भावना को समझकर हिन्दी कम जानने वाला होते हुए भी मैं आप की ब्लोग में आया हूँ।

  13. चन्द्रशेखरन जी,

    आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि आप मेरे ब्लोग में आये लेकिन आप की यह बात गलत है कि आपको हिन्दी कम आती है … आप इतना अच्छा तो लिख लेते हैं……मैं भी किसान और स्वतंत्रता सेनानी की ही बेटी हूं इसलिए विचारों में समानता होना स्वाभाविक है….आप जमीन बचाने का जो काम कर रहे हैं वो सराहनीय है….मैं ईश्वर से प्रार्थना करुंगी कि आपका प्रयास सफल हो…. ..लिखते रहिए हिन्दी और भी अच्छी हो जायेगी….शेष फिर कभी….

    रमा द्विवेदी

  14. आदरणीया रमा जी आपकी समस्त कविताएँ पढ़ीं । सभी कविताओं में गहराई से निकली हुई मानवीय पीड़ा और संवेदनाओं की खुली अभिव्यक्ति है.जो पाठक को अन्दर तक झकझोर देती हें और वह आपके साथ खड़े होने को विवश हो जाता है। आपकी लेखिनी भारतीय संस्कृति के पहरेदार की भूमिका में खड़ी प्रतीत होती है।सामाजिक विसंगतियों और विद्रूपताओं के विरोध में सीना तान कर खड़ी आपकी कविता जीवन मूल्यों की रक्षा में अहम भूमिका अदा करेगी। बहुत बहुत शुभकामनाएँ। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह धार और तीक्ष्ण होती जायेगी।
    शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

  15. आदरणीय शास्त्री जी,

    प्रथम तो मैं आपका स्वागत करती हूं कि आप यहां आये तो सही…..आपका आशीर्वाद मेरी लेखनी को मिल गया यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है…..आप जैसे विद्वानों के कुछ शब्द भी अगर आशीष के रूप में मिल जाएं तो लेखनी को एक नई स्फूर्ति,नई प्रेरणा मिलती है और खुद को मंथन करने का अवसर भी कि हम किस जमीन पर खड़े हैं ? आपकी इस स्नेहाभिसिक्त अमूल्य विचारों की अभिव्यक्ति के लिए ह्रिदय से आभारी हूं।सादर नमन!

    डा. रमा द्विवेदी

  16. रमा जी, आपके ’अनुभूति कलश’ तक पहुचने का सॊभाग्य प्राप्त हुआ.अच्छा लिखती हॆ,आप.अब तो आना-जाना लगा ही रहेगा.कभी मेरे ’नया घर’ पर भी आइये.स्वागत हॆ,आपका.

  17. विनोद जी,

    बहुत बहुत शुक्रिया ब्लाग पर आने के लिये ….जल्द ही मैं आपके घर पर आऊंगी…शेष फिर कभी….

  18. रमा जी
    सादर नमन
    हिन्दी कविता ग्रुप और अनुभूति के माध्यम से आपको जानती हूं, आपकी लेखनी सत्य और काव्य की सहज , सुंदर, और नित्य अभिव्यक्ति है, आप मार्गदर्शक की भांति हम जैसे नवोदित पथिकों के लिए प्रेरण स्रोत हैं, ईशवर आपको सदा ही काव्य साधना की परम शक्ति प्रदान करें
    भवदीया
    -रेणू आहुजा.

  19. रेणू जी,

    मैं स्वयं भी अभी अभी साधनारत हूं मुझे खुद पता नहीं कि मैं किसी के मार्गदर्शन के काबिल हूं या नहीं…बस कुछ मन के उद्गार हैं जो शब्दों में उतर जाते हैं…….स्नेह के लिए आभारी हूं…. …

    डा.रमा द्विवेदी

  20. रमाजी
    आपकी अनुभूतियाँ पढ़ कर सोच को एक नई रवानी मिलती है जिसमें महक के साथ साथ ताज़गी भी शामिल रहती है. सुंदर ब्लाग बनाकर पेश करने के लिये बधाई हो.
    सस्नेह
    देवी

  21. देवी जी,

    ‘ अनुभूति कलश’ पर आप आईं बहार आई…..आपका स्नेह और आत्मीयता ही मेरी प्रेरणा और ऊर्जा है….हार्दिक आभार….स्नेह बनाए रखेंगी इसी कामना के साथ….सादर…

  22. Aderdiya Rama jee
    namskar,
    Apki rachanaya dil tatha dimag ko jhakjhorna vali hai.
    Mai SAMEERA namak HINDI patrika ka sampadan karti hnu. SAMEERA HAND MADE PAPER PER PRINT hoti ha.HAND MADE PAPER ECO FRIENDLY HAI,is ka nirman karya mahilaon dwara kiya jata hai.SAMEERA sahity sava ka sath sath ,mahilaon ka liya bhi kary karti hai .Apa sa rachanao ki asha ka sath…..shubh kamna …MEERA

  23. Meera jee,

    Anubhuti Kalash me aapka swaagata hai…..aapko rachnaayeN pasand aayi isake liye haardik aabhaar…aapke baare me jaankar bahut achha lagaa ….meri haardik shubhkaamnaayeN aapke sath haiN.

  24. नमस्कार रमा जी,
    मैं बहुत छोटी हूँ यहाँ और शायद काबिल भी नहीं के आप की और आपकी रचनाओ की तारीफ में कुछ कह सकूँ ।
    मेरी तो हिन्दी व्याकरण भी ठीक नहीं पर सभी रचनाऐं पढ़ कर आनन्द प्राप्त हुआ । शब्दो को जोड़ जोड़ कर जैसे तैसे कुछ लिख लेती हूँ परन्तू आप के मार्गदर्शन की सदैव अभिलाषी रहूँगी ।
    लेखनी में त्रुटियों के लिये क्षमा किजीयेगा ।
    अगर आप की सहमति हो तो मैं आपकी शिष्या बनने की इच्छुक हूँ ।
    हेम ज्योत्स्ना पाराशर ‘दीप’
    hemjyotsana.wordpress.com

  25. हेमज्योत्सना जी,

    आपकी हिन्दी अच्छी है ..आप ऐसा क्यों कह रही हैं? लिखती रहिए और भी निखार आ जायेगा। रह गई बात बड़े छोटे की यह तो मुझे नहीं मालूम कि आप किस अर्थ में यह कह रहीं हैं…अगर उम्र की बात है तो मैं यही कहूंगी कि आदमी उम्र से नहीं अनुभव और ज्ञान से बढ़ा होता है…लेकिन हमें बुजुर्गों का सम्मान भी करना चाहिए। आपको जब कभी मेरे मार्गदर्शन की जरूरत पड़े अवश्य बताएं….सस्नेह..

  26. आ गया पटाखा हिन्दी का
    अब देख धमाका हिन्दी का
    दुनिया में कहीं भी रहनेवाला
    खुद को भारतीय कहने वाला
    ये हिन्दी है अपनी भाषा
    जान है अपनी ना कोई तमाशा
    जाओ जहाँ भी साथ ले जाओ
    है यही गुजारिश है यही आशा ।
    NishikantWorld

  27. सबसे पहले तो इस बात को साफ कर लिया जाना चाहिए कि ये प्रयास जो आप अपने हिंदी कविताओं और विचारो से कर रही है ,ये बहुत ही सराहनीय है ,आपकी रचना बहुत ही अच्छी लगी …अच्छे बिचार है …अच्छा लगा आपको पढना ….बधाई .हमारे ब्लोग पे भी आपका स्वागत है .

  28. राज जी,

    प्रथम तो ’अनुभूति कलश’ में आपका स्वागत है।आपको मेरी रचनाएं पसन्द आईं …उसके लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार । आशा करती हूं आप भविष्य में भी अपने विचारों से अवगत करवाते रहेंगे। मैं आपके ब्लोग में जरूर आऊंगी…शेष फिर कभी…

  29. Ramji, Darasal, meain kuch holi geet net par dhudn raha tha. Isi silsile mein holi par aapki rachna mili.. bahut achcha laga.
    Mein aapko bata dun ki maine kuch prasidh aur charchit holi geeton ko sangrah kar “JO JIYE SO KHELE FAAG” namak pustika banane ke yojna bana raha houn taaki holi ki apni purani pehchan kayam rah sake.
    Aapki jankari ke liye main bata dun ki isse pehl main hindi ke prasidh, charchit aur durlabh takriban 825 bhajno ke sangrah BHAJAN GANGA nam se nikal chuka houn.
    Sangrah karna mera shouk hai na ki pesha,
    Isliye yadi aap chahen to aapke holi geeton ko JO JIYE SO KHELE FAAG mein prkashi karva sakte hain, jise uski vastvik sarthakta siddh ho sakege.
    sesh phir kabi
    aapke shubhechchak
    vivekanand

  30. Vivekanand ji,

    Bahut bahut hardik aabhaar ki aap yahaan par aaye aur apane vichar preshit kiye. yah to mere liye saubhaagya kee baat hai ki aap ko mera Holi geet pasand aayaa lekin aapne yah to batayaa hi nahi ki aapako kaun saa holi geet chahiye…Holi par maine jyada nahi likha…bas mai itna hi chahoongi ki aap holi geet prakashit karne par mera naam avashya de aur agar ho sake to pustak ki ek prati mujhe avashya bhej deN agar aapko yah sweekarya hai to mujhe koi etraaz nahi hai…..uttar ki prateeksha meN…saadar…

  31. Rama ji,
    Apaki rachanyeN sunder hai.
    Muktak achhe lage.
    Badhayee.

    Avaneesh S. Tiwari

  32. pasand aaye
    naye naye haiku
    man ko bhaye

    nahin aasan
    sab kuchh kahana
    nanhi si jaan

    in do haikuon se aapki rachnaon mein vyapt sagar ko namaskar.

  33. Pavan kumar jee,

    Aapkaa swaagata hai ‘Anubhuti Kalash’ par. Aapko Haiku pasand aaye isake lie haardik aabhaar…..Apne vichaon se avagat karavaate rahiyegaa….dhanyvaad sahit….

  34. kripya aap apni navintam rachnaon se bhi parichit karaya karen

  35. aadrniya ramaji,
    nameskar,
    aapki rachnaon ki prashansha karna chahta hoon kintu main itna sahitya marmagya nahin hoon. hyderabad ki sahaj,saral, aur sahradaya kavyitriyon mein aapka shumar hai. krapa banayen rakhen.
    gopal sharma
    associate professor(english)
    University of Garyounis
    Benghaji( North Africa)

  36. आ० रमा जी
    आपके बारे में पढ़ कर बहुत हर्ष हुआ
    मै राजनीति विज्ञान विभाग में असि० प्रोफ़ेसर हूँ
    और कहने में कोइ संकोच नहीं कि मुझे छंद विधान का कोई ज्ञान नहीं है
    मै तो बस मन में जो भाव उठते हैं उन्हें कागज़ पर उतार लेता हूँ
    आप तो हिन्दी की बड़ी जानकार हैं कृपया बताएं क्या मेरी कोइ रचना किसी पत्रिका के लायक है या नहीं ?
    सादर
    “राज कान्त”

  37. आ.राज कान्त जी,,
    आप अनुभूति कलश पर आए अच्छा लगा । नियमों में बँध कर लिखना कोई ज़रूरी तो नहीं है…वैसे तो आप बहुत अच्छा लिखते हैं। आप पत्रिकाओं में रचनाएँ भेजिए प्रकाशित हो जाएगी …भेज कर देखिए …आप मुझे भी भेज सकते हैं …हम भी पुष्पक नाम से एक पत्रिका निकालते हैं ..लेकिन आपको डाक द्वारा भेजना पड़ेगा..आपको रुचि हो तो बताइयेगा ।

    डा.रमा द्विवेदी

  38. Visited you after reading your refined comments in another blog. It is pleasure. Best regards.

  39. प्रणाम!
    हर्ष हुआ आपका परिचय जानकर|
    दिशा निर्देश देते रहिये|

    सादर!
    वेदिका

  40. KAVITA ACHCHA LAGA JITEN SAHU

  41. aadarniya Rama jee
    aapke dwara likhi kahaniya maine padhi pita ki mamta aur pyasa ajanabi. Aaj kafi dino bad ya yo kahiye kai warsho baad hindi kahania padhne ko mili. mai dakshin bhartiya hoo par meri padhai likhai uttar pradesh me hui hai. karib pichle dus warsho se mai Andhra Pradesh me rah raha hoon aur in das warsho me maine ko hindi kitab nahi padhi par aaj sanyog se internet ki kripa se laga jaise mai uttar bharath me aa gaya apne purane sathiyo ke saath. aapki lekhan shailee kafi achhi hai sahaj aur sadharan isme aam janat ki bhasha hai.

  42. आदरणीय भीमा राव जी,
    ‘अनुभूति कलश’ में आपका स्वागत है। आपने कहानियों पर अपनी अमूल्य विचार प्रेषित किए ….हार्दिक धन्यवाद….आप उत्तर प्रदेश में रह चुके हैं यह जानकर और भी अच्छा लगा….भविष्य में भी अपने विचारों से अवगत करवाते रहियेगा…सादर….

  43. bahot sunder rachna

  44. bahot sunder

  45. […] हमारे साथ आईं डॉ रमा द्विवेदी से जानकारी मिली कि मंदिर के भीतर की […]

  46. aapka photo bahut aacha laga behud sunder …aapki kavitao ki tareh…

  47. bahut-bahut shukriya Femfootlover ….

  48. नमस्कार रमा जी | आपकी रचनाएँ तो हम निरन्तर पढ़ रहे हैं, आपके विषय में पढ़कर वास्तव में बहुत अच्छा लगा कि आप जैसी विदुषी से हम जुड़े हुए हैं… डॉ पूर्णिमा शर्मा


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